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सिंधु घाटी सभ्यता | हड़प्पा सभ्यता | Indus Valley Civilization | Sindhu Ghati Shabhyta |

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🏛️ सिंधु घाटी सभ्यता 

(Indus Valley Civilization)

यह सभ्यता सिंधु नदी के तट पर विकसित हुई थी। इसी कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है। इसकी सबसे पहली जानकारी हड़प्पा की खुदाई से मिली थी, इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।

🔸 सिंधु घाटी सभ्यता का विकास 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. तक माना जाता है।

🔸 यह विश्व की सबसे प्राचीन शहरी सभ्यता मानी जाती है।

🔸 चार्ल्स मैसन ने 1826 ई. में सबसे पहले इसकी जानकारी दी थी।

🔸 1921 ई. में तत्कालीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल के समय रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की खुदाई की।


🗺️ सिंधु सभ्यता का विस्तार

🔹 उत्तरी सीमा: मांडा (जम्मू)
🔹 दक्षिणी सीमा: दैमाबाद (महाराष्ट्र)
🔹 पूर्वी सीमा: आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)
🔹 पश्चिमी सीमा: सुत्कागेनडोर (बलूचिस्तान)

सिंधु सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार था।


👨‍👩‍👧‍👦 सामाजिक जीवन

सिंधु सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था और यह समाज 4 वर्गों में विभाजित था:

1️⃣ विद्वान वर्ग
2️⃣ योद्धा वर्ग
3️⃣ व्यापारी एवं शिल्पी वर्ग
4️⃣ श्रमिक वर्ग

🍲 भोजन

सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे।


⚰️ शवाधान प्रणाली (Burial Practices)

सिंधु सभ्यता के लोग मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए तीन प्रमुख विधियाँ अपनाते थे:

1. पूर्ण शवाधान: मृतकों को कब्र में दफनाने की परंपरा थी, जहाँ उन्हें उनके सामानों के साथ ससम्मान दफनाया जाता था।

2. आंशिक शवाधान: मृत शरीर को जंगल में छोड़ दिया जाता था, जहाँ पशु-पक्षी उसका मांस खा लेते थे। बाद में बची हड्डियों को एकत्र कर दफनाया जाता था।

3. दाह संस्कार: कुछ स्थानों पर मृतकों के शरीर को जलाने की प्रथा भी अपनाई जाती थी।


🏙️ नगर नियोजन (Urban Planning)

सिंधु सभ्यता के नगर विश्व के प्राचीनतम सुनियोजित शहरों में गिने जाते हैं। इनके नगर नियोजन की विशेषताएँ इस प्रकार थीं:

उन्नत नगरीय ढांचा: सिंधु सभ्यता के नगर जैसे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को वैज्ञानिक ढंग से बसाया गया था।

निर्माण सामग्री: मकानों के निर्माण में पक्की ईंटों का उपयोग किया जाता था, जो उस समय के लिए एक विशेष तकनीक थी।

सुरक्षित मकान: अधिकतर मकानों के मुख्य दरवाज़े मुख्य सड़कों पर न खुलकर गलियों की ओर खुलते थे जिससे निजता बनी रहे।

चौड़ी सड़कें: मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक चौड़ी सड़क लगभग 10 मीटर चौड़ी थी, जो उनकी योजनाबद्धता को दर्शाती है।

घरों की संरचना: सामान्यतः घरों में चार-पाँच कमरे, आँगन, रसोईघर, स्नानागार, कुएं और शौचालय भी बने होते थे।

जल निकासी: नगरों में ढकी हुई नालियाँ मिलती हैं जो साफ़-सफाई और उन्नत जल निकासी प्रणाली का संकेत देती हैं।


🏛️ सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल (Important Sites of Indus Valley Civilization)

🏗️ हड़प्पा (1921)

➤ इस स्थल की खुदाई दयाराम साहनी ने वर्ष 1921 में की थी। यह स्थल रावी नदी के किनारे, वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।

➤ खुदाई में निम्नलिखित प्रमुख वस्तुएं प्राप्त हुईं:

  • 👷 श्रमिकों के लिए आवास
  • 🏠 अन्नागार
  • 🪵 लकड़ी का ताबूत
  • 🪦 RH-37 कब्रिस्तान

🏙️ मोहनजोदड़ो (1922)

➤ इस स्थल की खुदाई राखलदास बनर्जी ने वर्ष 1922 में की थी। यह स्थान सिंधु नदी के किनारे, पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित है।

मोहनजोदड़ो का अर्थ है – मृतकों का टीला

➤ यहाँ से प्राप्त प्रमुख वस्तुएं:

  • 🏚️ पुरोहित आवास
  • 🏠 अन्नागार
  • 🛁 विशाल स्नानागार
  • 🚰 घरों में कुएं
  • 🕉️ आदि शिव की प्रतिमा
  • 🗿 कांसे की बनी नर्तकी की मूर्ति
  • 🛣️ सबसे चौड़ी सड़क

🏭 चन्हूदड़ो

➤ खुदाई गोपाल मजूमदार द्वारा की गई थी। यह स्थल वर्तमान पाकिस्तान में सिंधु नदी के किनारे स्थित है।

➤ यह एकमात्र ऐसा शहर है जो दुर्ग रहित है और इसे एक औद्योगिक नगर माना जाता है।

➤ खुदाई में मिली प्रमुख वस्तुएं:

  • 💄 लिपिस्टिक
  • 🔍 शीशा
  • 🎎 मनके और गुड़िया
  • 🐾 कुत्ते और बिल्ली के पैरों के निशान

🌊 रोपड़

➤ इस स्थल की खुदाई यज्ञदत्त शर्मा ने की थी। यह स्थान पंजाब में सतलुज नदी के किनारे स्थित है।

➤ यहाँ से जो प्रमुख खोज हुई वह है:

  • 🧍‍♂️ एक मानव के साथ कुत्ते को दफनाया गया था – इसका पुरातात्विक प्रमाण मिला है।

💡 यह प्रथा नवपाषाण काल में बुर्जहोम (कश्मीर) में भी देखने को मिलती है।


🌾कालीबंगा 

➤ कालीबंगा की खुदाई B.K. थापड़ और B.B. लाल द्वारा की गई थी।

➤ यह स्थल राजस्थान राज्य में स्थित है और घग्घर नदी के किनारे बसा हुआ है।

कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है – काली मिट्टी की चूड़ी

🔍 खुदाई में प्राप्त प्रमुख वस्तुएं

  • 🚜 हल से जोते गए खेतों के निशान – कृषि तकनीक की जानकारी मिलती है।
  • 🧱 अलंकृत ईंटें – निर्माण शैली और सजावट का प्रमाण।
  • 🔥 हवन कुंड – धार्मिक गतिविधियों का संकेत।
  • 🔗 चूड़ी – आभूषण निर्माण और उपयोग की झलक।

📍 धोलावीरा

👷 खुदाई रविंद्र सिंह बिष्ट द्वारा करवाई गई थी।

📌 यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।

🏟️ यहां से एक अनोखी खोज — स्टेडियम मिला है, जो नगर नियोजन की उच्च तकनीक को दर्शाता है।


📍 सुरकोटड़ा

👷 खुदाई का कार्य जगपति जोशी द्वारा करवाया गया।

📌 यह स्थल वर्तमान में गुजरात राज्य में मौजूद है।

🦴 यहां से घोड़े की हड्डियाँ प्राप्त हुई हैं, जो एक महत्वपूर्ण खोज है।


📍 लोथल

👷 लोथल की खुदाई एस.आर. राव द्वारा की गई थी।

🌊 यह स्थान भोघवा नदी के किनारे, अहमदाबाद (गुजरात) के पास स्थित है।

⚓ यहां से सिंधु सभ्यता का बंदरगाह मिला है।

🚪 घरों के दरवाजे सीधे सड़कों की ओर खुलते थे, जो नगर नियोजन का उत्कृष्ट उदाहरण है।


📌 सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख तथ्य

📖 इसे हड़प्पा, सैंधव और कांस्य युगीन सभ्यता भी कहा जाता है।

✍️ इनकी लिपि भावचित्रात्मक थी, जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी, जिसे अब तक पढ़ा नहीं जा सका है।

🌿 सिंधु सभ्यता के लोग कपास के पहले उत्पादक थे। यूनानियों ने इसे ‘सिंडन’ नाम दिया, जिसका अर्थ है सैंधवों की कपास।

🌾 लोग कृषि और पशुपालन करते थे, लेकिन मुख्य व्यवसाय व्यापार था।

⚖️ ये लोग माप-तौल की समझ रखते थे और मानक ईकाइयों का प्रयोग करते थे।


📜 अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

⛏️ सिंधु घाटी के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।

🏺 हड़प्पा में मिट्टी के बर्तनों में लाल रंग का प्रयोग होता था।

🐘 हड़प्पा सभ्यता की मोहरों पर कई पशुओं के चित्र मिले हैं, लेकिन शेर का चित्र नहीं मिला।

🪪 मोहरों में सेलखड़ी (Steatite) का प्रमुख उपयोग किया गया था।

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